हिमालय का सिर पर ताज सजा चरणों को धोती महासागर की जलधारा है मनमोहन भारत भू का इतिहास
सुनो तो भूगोल से कहीं अधिक किए प्यारा है जहां तलवारों वालों का छोड़ दी है कोयल की कू कू करती है
जिसने मुगलों के गढ़ में गोरी को घुसकर मारा यह उसी पृथ्वीराज की भर्ती है Maharana Pratap Poetry
मेवाड़ के तुरल मराठों की शान तुम्हें दिखाता हूं मां भवानी के लाल शिवा के दर्शन समर के भगोड़े का सीन हुआ था
मुगलों की क्रूरता के सभी मारे थे भारत भूखी मृत कितना जगाने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे देश का
नारा देकर मामलों में अद्भुत जोश भरा जीजा मां के लाल रे झंकार मुगलों का था भोजपुरी मराठा साम्राज्य
छत्रपति आज में कबूल कर रहा था और शंभू राजे का नाम दिल्ली में बैठा था पूर्वजों की 18 सो 57 के महा
समर्पित हीरो का एक गाना सुनाता हूं
भारत माने जब बलिदान धमाका तकदीर ने अपने मां के चरणों में चढ़ा याद तो होगी वह झांसी की
रानी अंग्रेजों को लेके याद तो होगी मंगल पांडे की वह पहली गोली राष्ट्रवाद की चिंगारी थी भारत मां
के शेरों को जगा कर अंग्रेजों ने भूल कर दी भारी थी चुल्लू भर पानी में डूब मरे हो जो बच्चों को रूस
की क्रांति पढ़ाते हैं भारतीय क्रांति को कलम से लिखने वाले वीर सावरकर को गद्दार बताते हैं अरे धन्य है
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Maharana Pratap Poetry | वीर रस कविता महाराणा प्रताप
वह वीर सावरकर जिनकी पुस्तक को भगत सिंह भी सीने से लगा कर चलते थे पुस्तक के पन्नों के तले
आजाद हिंदुस्तान के साथ में पढ़ते थे जय भारत माता के वीर सपूत हैं याद करती नागर के हर देशभक्त
का खुला है अरे पागल माटी पर 12 वर्ष का खुदीराम देहाती पर झूला है अरे कितनों के बलिदानों
गिनती कम पड़ जाएगी छाती चौड़ी होगी आंखें नम हो जाएंगी राजगुरु सुखदेव भगत सिंह नाम में आता है
मेरे लहू का कतरा इंकलाब बन जाता है चंद्रशेखर की वीरता का इतिहास धार में आता है
गुलाब देश में 20,000 था यह सोचकर दर्शाता है भारत मां की मिट्टी में खड़ा हुआ उसी मिट्टी में मिल बैठा था
अंग्रेजी गोली भी स्वीकार नहीं अपनी बैठा था चंद्रशेखर आजाद की शहादत पाएगी आने वाली पीढ़ी को राष्ट्रवाद
की अद्भुत लीला दिखलाइए अरे लेखक होने की कलम क्या बंदूक उठाई स्पार्की दोस्ती काम में आएगी काकोरी
में जब सरकारी ट्रेन लूट कर अंग्रेजों को धूल चटाई थी कितने तुमको बलिदान बताओ जिससे नीति राष्ट्रवाद की
ठीक नहीं है देश प्रेम की मोहर ना हो इतिहास में ऐसी कोई तारीख नहीं अरे अवसर पर बैठी रहती
महाराणा प्रताप पर कविताएं
तो अंग्रेज देखते जाते क्यों खुशी मिलती तो नेताजी आजाद हिंद फौज बनाते क्यों हरियाणवी नमन है
वीर सुभाष को लगाई थी अंग्रेजों की देश के सभी बड़े ही आजाद हिंद फौज जितने मातृभूमि पर जीवन
भर दिया पढ़ते तोड़ने वालों को हर जन्म में गद्दार कहूंगा मैं ओके तोड़ने वालों को हर जन्म में करता रहूंगा Maharana Pratap Poetry
मैं किधर जाएंगे पाकिस्तान की क्या औकात है वापस ले आएंगे अरे पाकिस्तान की क्या औकात है बंधु काबुल भी वापस ले आएंगे
Special Poetry by Deepankur Bhardwaj