थका हु झूठे तानों से थका हु झूठे तानों से अधर्मी अधर्मियों के मिथिया शब्द बाणों से
हिंदू इतिहास का सीना टटोल ता हूं मैं महर्षि भारद्वाज पुत्र गुरु द्रोण बोलता हूं
मुझे अहंकारी कहने वाले बने बैठे संत हैं पूछता हूं तुमसे मैं क्या कभी पड़े तुमने ग्रंथ है
क्या जानोगे पीड़ा तुम मेरी अभागा पिता मैं कैसे जीता था Guru Dronacharya Best Teacher
जब पुत्र मेरा सत्तू का घोल दूध समझकर पीता था अरे तुम्हें दुख दिखता है
अंगराज का जो सारा जीवन मित्र महल में पढ़ा रहा मुझे मिलाना अधिकार
एक गाय पर मैं लाचार और बेबस खड़ा रहा दोह्पद के समक्ष मेरा पुत्र खड़ा था
और मेरे साथ मेरी अर्धांगी थी अरे भिक्क्षा की अभिलाषा ना थी
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अधिकार में केवल एक गाय ही तो मांगी थी अपमानित हुआ में भरी सभा में सब भूल चुका था
मेरा बालसखा मृत पड़ी थी रिश्तो की गरिमा एक गाय भी वह देना सका अरे प्रतिकार नहीं था
मन में मेरे प्रतिकार नहीं था मन में मेरे जो होता Guru Dronacharya Best Teacher
Guru Dronacharya Best Teacher Tribute to the best Teacher in Indian History
तो विध्वंस हो जाता पंचाल की उसी मिट्टी में मेरे मित्र का वंश खोजाता विद्या का मान मेरा शिष्य
मुझे लौट आएगा विद्या का मान मेरा शिष्य मुझे लौट आएगा कुछ ऐसा मन में ठाना था अरे दुख
के काले समझ में मैंने असली रिश्तो को पहचाना था पात्रता जिस शिष्य में थी उसका पार्थ को
भव्य बनाया था पात्रता जिस शिष्य में थी उसका पार्थ को भव्य बनाया था अरे महा मूर्खों जरा
ग्रंथ पढ़ो कोई शिष्य ना मेरे ठुकराया था सभी शिक्षा दी थी अंगराज को सभी शिक्षा दी थी
अंगराज को सिर्फ ब्रह्मास्त्र से मुँह फेरा था प्रत्यक्षदर्शी था मैं इस बात का कि मेरे शिष्य
को अधर्म ने घेरा था अरे शिक्षा पाकर परशुराम से जो ना जान सका धर्मशास्त्र को तुम
ही कहो क्या ऐसा योद्धा संभाल सकता था ब्रह्मास्त्र को और कहां लिखा है ग्रंथों में कर्ण
को मैंने दूध करा था जिसकी नियति में मेरा वध निहित था ऐसा शिष्य भी मैंने स्वीकारा था
जब जिक्र हो एकलव्य का मुझ पर लांछन हजार लगेंगे जब जिक्र हो एकलव्य का
मुझ पर लांछन हजार लगेंगे शिक्षा देकर पैसा खाकर खून चूसने वाले मुझे
अधर्मी बारंबार कहेंगे एकलव्य के अंगूठे का मुझे कभी ना कोई मोह रहा था
पर मगर कुमार को शिक्षा देना मेरे लिए देशद्रोह रहा था क्योंकि चोरी चकारी
लूटपाट वह भी लेते निर्दोषों के प्राण थे किया सानिया शिक्षण दे पाओगे
dronacharya in hindi | सर्वसिरथ गुरु द्रोणाचार्य All Time
तुम किसी आतंकी को पाकिस्तान के धर्म जान में लड़ा धर्म से बेबस और बेचारा था
पाप मेरा था इतना कि मैं पुत्र मोह का मारा था आज भी हुआ त्वचा पर अभिमन्यु का
हत्यारा था अरे करुणा तब मेरी पता चली जब माधव ने हदय टटोला था करुणा
तब मेरी पता चली जब माधव ने हदय टटोला था गुरु श्रेष्ठ है गुरु द्रोण ऐसा माधव ने बोला था
अरे दिव्य जन्म था
अरे दिव्य तन मेरा
दिव्या शोरिया दिखलाया था
अरे द्रोणा पात्र से जन्म लिया और द्रोणाचार्य के लाया था
द्रोणा पात्र से जन्म लिया और गुरु श्रेष्ठ में द्रोणाचार्य के लाया था
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