रूद्र का अंश ले जन्मा में दिव्य पिता का दिव्या पुत्र जिसे पहनाया निर्ममता अधर्म का जामा है
हां हां मैं द्रोण पुत्र हूं मेरा नाम अश्वत्थामा है पिता की निर्मम हत्या का प्रतिशोध मुझे बस लेना था
भान कराना था सबको ब्राह्मण जब-जब रूठा है वह अकेला ही पूरी सेना था
दिव्य मणि धारण मस्तक पर अविरल और अविलाषी था Dronaputra Ashwathama Mahabharat warrior
मुझे सा योद्धा कोई कैसे होता मैं अंश था सवयं कैलाशी का युगों से जिस पर धूल पड़ी है
इतिहास का अमित वह गाता हूं आज महाभारत की रणभूमि का अनसुना सत्य तुम्हें बतलाता हूं
वीर कुमारों में जब कोई सामर्थ सिद्ध नहीं कर पाया था अर्जुन के संग में ही था
जिसने तब ब्रम्ह शिर को पाया था विराट युद्ध में प्रलय मची थी
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अर्जुन के बाणों से तब नभ पता रहा तीर खत्म होने पर भी अकेला अश्वत्थामा डटा रहा में मेघो सी
गर्जन कर जब मैं युद्ध भूमि में आया था शत्रु होते भयभीत मानों अश्वत्थामा रुद्र की ही काया था
जयद्रथ वध से पहले जब गांडीवधारी से अंगराज टकराए थे द्रोण पुत्र ने ही शरण में लेकर
प्राण अंगराज के बचाए थे वीर घटोत्कच को देख कुरु सेना में जब मच गई हाहाकार थी
उस वीर योद्धा को थामने वाली बस अश्वत्थामा की ललकार थी या तू धन राक्षस जब प्रकट हुए
Dronaputra Ashwathama Mahabharat warrior | अश्वत्थामा की वियता
सब दिग्गज डरकर भागे थे उन दतिया का संघार हुआ तब रणभूमि में द्रोण पुत्र ही आगे थे
पिता के ना होने का लाभ उठाकर ना कभी पुत्र किसी का मारा था घटोत्कच भी समक्ष खड़ा था
जब अंजन पर्व मुझसे हारा था पिता पुत्र की रिश्ते की गरिमा का सदा ही मुझको ज्ञान था
गुरु पिता के साथ होने वाले छलका मुझे तनिक ना भान था छल से जब मेरे गुरु पिता को शत्रु
ने मार गिराया था इस धर्म से भरे भ्रमण के भीतर रावण को फिर से जगाया था
परशुराम हो या अश्वत्थामा क्रोध ब्राह्मण का शांत करने हेतु विनाश तो अवश्यंभावी था
पिता की निर्मम हत्या से क्रोधित अश्वत्थामा गांडीवधारी पर भी हावी था युद्ध भूमि में ना प्रतिशोध मिला
तो अधर्म मुझसे अपार हुआ उप पांडवों की निर्मम हत्या और दृष्टि ढूंढ का संघार हुआ
विनाश काले विपरीत बुद्धि ना धर्म समझ में पाया था प्रतिशोध के भंवर में फंसकर उत्तरा के गर्भ
पर ब्रह्मास्त्र चलाया था Dronaputra Ashwathama Mahabharat warrior
भ्रूण हत्या के विफल प्रयास से आजीवन मुझको कोड मिला तुम धर्म समझ कर पाओगे
अरे कलयुग में भ्रूण हत्या करने वालों तुम भी यातना असीमित पाओगे
योद्धा हूं मैं कल की संघ धर्म युद्ध लड़ लूंगा अधर्मी ऊपर विनाश बन टूट जाऊंगा तो द्वादश रुद्र है
कहते मुझको ज्ञात सभी को मैं करवा लूंगा अधर्म यों के रक्त का खबर भरकर खुद ब्रह्मा अस्त्र
मैं बन जाऊंगा पापों का प्रायश्चित करके फिर से धर्म योद्धा कहलाएगा
अधर्मी चरित्र था उसे त्याग कर धर्म का पहना अभी एग्जाम आ है भारद्वाज वंश का गौरव हूं
मेरा नाम अश्वत्थामा है मेरा नाम द्रोण पुत्र अश्वत्थामा है
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